अकादमी स्थापना दिवस ‘‘धरोहर’’ 2023-24
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी (संस्कृति विभाग उ0प्र0) द्वारा दिनांक 20 नवम्बर, 2023 को अकादमी स्थापना दिवस के अवसर पर ‘‘धरोहर” सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन गोमती नगर स्थित, अकादमी परिसर के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया गया। इस संध्या को कोलकाता से पटियाला घराने की विदुषी कौशिकी चक्रवर्ती ने अपने कंठ स्वरों से यादगार बनाया।
दीप प्रज्वलन के उपरान्त अकादमी के निदेशक डॉ.शोभित कुमार नाहर ने समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री मालिनी अवस्थी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री अवनीश अवस्थी और आमंत्रित शास्त्रीय गायिका सुश्री कौशिकी चक्रवर्ती का स्वागत अभिनंदन किया। इस अवसर पर संस्कृति एवं पर्यटन के प्रमुख सचिव श्री मुकेश मेश्राम विशिष्ट अतिथि रहे। अन्य आमंत्रित अतिथियों में समाज कल्याण के प्रमुख सचिव डॉ.हरिओम, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.मांडवी सिंह, संस्कृति के विशेष सचिव राकेश चन्द्र शर्मा, होमगार्ड के अपर मुख्य सचिव अनिल कुमार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ पूर्णिमा पाण्डेय सहित कई गणमान्य कलाकार और अकादमी से पुरस्कृत कलाकार उपस्थित थे।
इस समारोह के उद्घाटन सत्र में प्रमुख सचिव श्री मुकेश मेश्राम ने कहा कि समुद्र सरोवरों से निकली विभिन्न प्राकृतिक ध्वनियों को छह मुख्य भारतीय रागों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। आवश्यकता यह है कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए। उनके अनुसार शास्त्रीय संगीत को हम हृदयंगम और आत्मसात करते हैं। इसलिए यह शरीर से ज्यादा आत्मा से जुड़ता है। इससे लोगों को सुकून मिलता है। इसके लिए जरूरी है कि मानसिक रूप से हम अपने को तैयार करें।
इस अवसर पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने इस अवसर पर कहा कि अकादमी द्वारा शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है यह उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि इस कड़ी में धरोहर समारोह में कौशिकी चक्रवर्ती का गायन अपने में मणिकांचन संयोग है।
कार्यक्रम के आरम्भ में कौशिकी चक्रवर्ती ने आयोजित कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह संगीत के छात्र के तौर पर गुजारिश करना चाहती हैं कि, लखनऊ यह प्रयास करें कोई भी ऑडिटोरियम हो, वह चाहें कितना ही बड़ा क्यो न हो, पर वह शास्त्रीय संगीत के नाम से भरना चाहिए। यह लखनऊ वालों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि किसका गायन है। उन्होंने कहा कि यू-ट्यूब लाइक्स आदि नहीं यह मंच सच्चाई है। इस मंच से ही कलाकारों को सुधि श्रोताओं का प्यार मिलता है, ताकत मिलती है, हिम्मत आती है और विश्वास जगता है। इसी मंच पर वास्तविक अर्थों में तालीम और रियाज का परिरक्षण होता है। मंच पर बैठ कर कलाकार शून्य से शुरू होता है। इसका कोई फर्क नहीं पड़ता कि पिछला कार्यक्रम कितना अच्छा हुआ है। इसलिए उन्होंने फिर दोहराया कि वादा करें कि लखनऊ में कोई भी शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम कभी खाली न जाए। कार्यक्रम की प्रस्तुति के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता जी पंडित अजय चक्रवर्ती ने एक बार उनसे कहा था कि अच्छा सुर तो कई बार लग जाता है लेकिन सच्चा सुर कभी कभी लगता है। वह सच्चा सुर तभी लगता है जब आपके अंतरमन में सच्चाई हो।
सुश्री कौशिकी चक्रवर्ती ने कार्यक्रम की शुरुआत ‘‘राग श्याम कल्याण’’ से की, इसी क्रम में उन्होंने “पिया बिन नींद नहीं आवे”, चतुरंग “आज शुभ दीप जलावो सब”, राग मधुवंती में “काहे मान करो सखी री अब” सुनाकर उपस्थित जनसमूह से प्रशंसा हासिल की। उनके साथी कलाकारों में लोकप्रिय तबला वादक श्री ओजस अदया, सारंगी वादक उ0 मुराद अली और हारमोनियम वादक श्री ज्योतिर्मय बनर्जी शामिल रहे।