अवध महोत्सव - 2023-24
पर्यटन विभाग, उ0प्र0 तथा संस्कृति विभाग, उ0प्र0 एवं उ0प्र0संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में रामोत्सव के अन्तर्गत दिनांक 01 से 05 अप्रैल, 2024 तक पांच दिवसीय ‘वाजिद अली शाह अवध महोत्सव-2024’’ का शुभारंभ दिनांक 01 अप्रैल, 2024 को किया गया।
अकादमी परिसर में आयोजित पांच दिवसीय महोत्सव की शुरुआत अपराह्न 02:00 बजे से रंगोली प्रतियोगिता से हुई। इस प्रतियोगिता में आर्ट्स कॉलेज के ग्रुप ने मछलियों के जोड़े के साथ अयोध्या में प्रतिष्ठित प्रभु राम की छवि को रंगोली में पिरोया वहीं टैक्नो ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के गु्रप ने दीपक के साथ प्रभु राम की मुखाकृति को रंगोली के माध्यम से दर्शाया तथा गोयल इंस्टिट्यूट ऑफ हायर स्टडी के दल ने पुष्प की रंगोली बनायी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि अवध महोत्सव में अयोध्या के राम मंदिर से लेकर अवध के खानपान तक को सुंदरता पूर्वक समाहित किया गया है वह सराहनीय है। इससे निश्चित रूप से न केवल युवा पीढ़ी को अपनी उन्नत धरोहर का ज्ञान होगा बल्कि उस पर गर्व का अहसास भी होगा। अवध महोत्सव स्मृतियों को ताजा करने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित यूपी दर्शन पार्क का भी उल्लेख किया जिसमें कबाड़ से उत्तर प्रदेश के एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थलों की झांकी तैयार की गई है। अवध महोत्सव में प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मुकेश कुमार मेश्राम, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.माडवी सिंह और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर, संस्कृति निदेशालय के उपनिदेशक श्री अमित कुमार अग्निहोत्री, सहायक निदेशक सुश्री रीनू रंगभारती, सहायक निदेशक श्री तुहिन द्विवेदी, निदेशक लोक कला अतुल द्विवेदी सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
अवध महोत्सव के अन्तर्गत पहले दिन के सांस्कृतिक संध्या का आग़ाज़ रामपुर घराने के उस्ताद सखावत हुसैन के गजल गायन से हुई। उसमें उन्होंने ‘‘रसिया ने कैसा जादू डाला रे’’ सुनाया। इस क्रम में उन्होंने “तुमने जीने की जो दुआ की है कौन से जुल्म की सजा दी है” सुनाया। तत्पश्चात् कथक केन्द्र के कलाकारों ने “फाग रंग” की सतरंगी प्रस्तुति दी। इसमें राग बसंत एक ताल में निबद्ध रचना “फुलवा बीनत डारि डारि” साथ ही “जब फागुन रंग झमकते हो”, “लाल गोपाल गुलाल हमारी”, “म्हारा सांवरिया घिर आयो री” के बाद कलाकारों ने “कन्हैया घर चलू गुइयाँ आज खेलें होरी” पर मनमोहक प्रस्तुति दी।
परिसर में शहंशाह आलम खान की सजीव शहनाई मंगल ध्वनि गूंज रही थी दूसरी ओर मेले परिसर में रूमी गेट से लेकर गांव के दृश्य एवं लखनऊ की झलक दर्शाते हुए सेल्फी प्वाइंट बनाए गए थे। मेले में अवध के व्यंजनों में शामिल चाट, जलेबी, लस्सी, ठंडाई आदि का भी आगंतुक आनंद ले रहे हैं। इसके साथ ही स्पेशल फ्रूट रबड़ी चरखा कुल्फी आकर्षण का केन्द्र बनी।
अवध महोत्सव की दूसरी संध्या- दिनांक 02 अप्रैल, 2024 मंगलवार को प्रातः हेरिटेज वॉक का आयोजन इतिहासकार श्री रवि भट्ट के नेतृत्व में हज़रतगंज में किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र के साथ प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर और वरिष्ठ अभिनेता डॉ.अनिल रस्तोगी सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे। इस दौरान इतिहासकार रवि भट्ट ने कई ज्ञानवर्धक जानकारियां भी सबके बीच सांझा की।
सांस्कृतिक संध्या का शुभारम्भ, भातखंडे सम विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ.पूर्णिमा पाण्डेय अकादमी के निदेशक डॉ.शोभित कुमार नाहर, लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी और ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली, सम्मान से अलंकृत वरिष्ठ बांसुरी वादक चेतन जोशी, एडीएम (सिटी)लखनऊ राजकुमार द्विवेदी सहित अन्य विशिष्ट जन भी उपस्थित रहे।
पहली प्रस्तुति में इन्दौर से आमंत्रित पद्मश्री पुरु दाधीच ने रामायण पर आधारित प्रेरक कथक प्रस्तुति से संध्या का आगाज किया। जिसमें उन्होंने प्राचीनतम रामायण गान की परंपरा पर आधारित प्रभावी कथक प्रस्तुति दी। मान्यता के अनुसार कथक नृत्य का उद्गम लव कुश के द्वारा रामायण गान से हुआ है। उसी अवधी परंपरा को प्राचीन शैली में तुलसीदास कृत रामायण पर आधारित राम जन्म से ले कर जटायु मोक्ष तक की कथा और पुरु दाधीच द्वारा रचित अप्रचलित मणि ताल में निबद्ध राम भजन की प्रस्तुति की। इस प्रस्तुति में पद्मश्री पुरु दाधीच के साथ उनकी पुत्रवधू हर्षिता दाधीच के साथ दमयंती मिरद्वाल, पूर्वा पांडे, मुस्कान श्रीवास्तव, अक्षिता पुराणिक ने सुंदर नृत्य किया। कौशिक बसु की संगीत रचना में पार्श्व स्वर प्रत्युष दाधीच का रहा।
दूसरी प्रस्तुति लखनऊ के हिमांशु बाजपेई द्वारा किस्सागोई में लखनऊ के नवाबों से लेकर रिक्शे और दर्जी तक के एक से बढ़कर एक प्रसंग सुनाये। उन्होंने किस्सागोई की शुरुआत लखनऊ है तो महज गुंबद-ओ-मीनार नहीं, सिर्फ एक शहर नहीं, कूच-ओ-बाजार नहीं, इसके आंचल में मोहब्ब्त के फूल खिलते हैं, इसकी गलियों में भी फरिश्तों के पते मिलते हैं, से की। इसके बाद उन्होंने तबले पर थिरकती हुई उंगलियों के कारण “थिरकवा“ कहे जाने वाले उस्ताद अहमद जान थिरकवा का जिक्र किया वहीं अवध के नवाब वाजिद अली शाह, कथकाचार्य पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज से लेकर मजाज़ लखनवी तक के कई किस्से सुनाए।
तत्पश्चात् मुम्बई की आकांक्षा त्रिपाठी ने सूफी गायन के अंतर्गत “जुगनी जी”,“सइयां मिले लड़कइयां” तथा बालीवुड के अन्तर्गत “फिर ले आया दिल” तथा “सांसों की माला पे सिमरु में पी का नाम”, “तेरी दीवानी”, “किन्ना सोणा तैनू रब ने बनाया”, “मेरे रश्के कमर”, “ओ मेरे दिल के चैन चैन आये मेरे दिल”, “कजरा मोहब्बत वाला” और “दमादम” जैसे कई दिलकश तराने सुनाकर उपस्थित जनसमूह को आनन्दित किया।
कार्यक्रम के शाम की अन्तिम प्रस्तुति जालंधर के अनादि मिश्रा द्वारा सूफी गायन में “नित खैर मंगा सोनेया मैं तेरी” सुनायी इसके बाद उन्होंने सात अंक के महत्व को सुरीले अंदाज में बयां करते हुए गीत “सप्त स्वर गुनन राम को गाएं” सुनाया। और अन्त में “तुम्हे दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी” सुनाई जिसे युवाओं द्वारा बहुत पसंद किया गया।
इस दौरान पपेट शो के अलग बने मंच पर सलोचना कार्की के निर्देशन में “फटाफट” की प्रस्तुति, शतरंज प्रतियोगिता, बांदा के समूह द्वारा पाईडण्डा लोकनृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां भी आयोजित की गई।
अवध महोत्सव की तीसरी संध्या दिनांक 3 अप्रैल, 2024 को कला, संस्कृति और विरासत के इस महासंगम में गायन और नृत्य प्रस्तुतियों के साथ ही अन्य गतिविधियां भी इस महोत्सव में आयोजित की गई जैसे- रंगोली और पतंगबाजी, अवधी परिधान, शतरंज प्रतियोगिता के साथ ही इक्का-तांगा दौड़, हेरिटेज वॉक, पुतुल नाट्य उत्सव, किस्सागोई और अवधी व्यंजन मेले का भी लुत्फ उठाया जा रहा है।
03 अप्रैल, 2024 की प्रातः 06:00 बजे इक्का तांगा दौड़ प्रतियोगिता के साथ अवध महोत्सव की शुरूआत हुई तत्पश्चात शतरंज प्रतियोगिता, अवधी परिधान प्रतियोगिता तथा पुतुल नाट्य प्रस्तुति के अन्तर्गत जंग-ए-आज़ादी के नायक के जीवन पर आधारित “शहीद-ए-आज़म उधम सिंह“ और “हरियाली का हाथ“ का प्रदर्शन किया साथ ही झांसी से आमंत्रित लोक कलाकारों ने लोक नृत्य के माध्यम से आगंतुको का स्वागत किया।
सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन मुख्य अतिथि उप निदेशक संस्कृति अमित कुमार अग्निहोत्री, भातखंडे सम विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति एवं अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय, सहायक निदेशक संस्कृति रीनू रंगभारती, लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी तथा अकादमी निदेशक डॉ0 शोभित कुमार नाहर ने दीप प्रज्जवलन करके किया इस अवसर पर डीजी रेलवे ए.के राना, एडीजी रेलवे एस.के जैन, एस.पी विजिलेंस नीति द्विवेदी तथा अन्य कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में गाजियाबाद की कथक नृत्यांगना समीक्षा शर्मा के दल ने “शंकर अति प्रचंड” नृत्य की रचना पेश की। इसमें महादेव के अघोर मुखी स्वरूप को प्रभावी रूप से दर्शाया गया। दूसरी रचना सूरदास के पद “सुंदर बदन” में अंतरमुखी नायिका दर्शाते हुए इस एकल नृत्य को स्वयं समीक्षा शर्मा ने बेहतरीन भावों के साथ पेश किया। अंत में पारंपरिक जयपुरी कथक का अंग विस्तार से देखने को मिला। इसमें दल के कलाकारों ने एक पैर से लट्टृ की गति की अनुकृति कथक नृत्य के माध्यम से पेश की वहीं परनों के बाद पांच तरह के चक्करों का प्रभावी प्रदर्शन भी किया।
दूसरी प्रस्तुति में लखनऊ के अग्निहोत्री बंधु के भजन गायन ने दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने संध्याकाल के अनुरूप छंद “जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता” से प्रस्तुति का मधुर आगाज किया। उसके बाद इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन की रचना “अब तो पलक उठाओ भगवन, जय जय भोले भंडारी बेड़ा पार लगाओ भगवन” को अपने खास अंदाज में पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने हनुमान चालीसा के अंश भी सुनाए।
कार्यक्रम की आखिरी प्रस्तुति राजस्थान की बतुल बेगम का सूफी गायन आकर्षण का केन्द्र बना। बतूल बेगम राजस्थान के जयपुर की लोकप्रिय लोक गायिका हैं। उन्होंने विशेष रूप से “गजानन देवा”, “केसरिया बालम”, “बोल सुवा राम राम”, “डिग्गीपुरी का राजा”, “राम सा पीर” जैसे एक से बढ़कर एक पारपंरिक राजस्थानी गीत और भजन सुनाकर उपस्थित जन समूह द्वारा प्रशंसा बटोरी।
अवध महोत्सव के चौथे दिन दिनांक 4 अप्रैल, 2024 को मुख्य अतिथि विशेष सचिव पर्यटन, विशिष्ट अतिथि ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय सचिव डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी, पद्मश्री ईशा प्रिया, वरिष्ठ कथक नृत्यांगना पद्मश्री नलिनी-कमलिनी, प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना नयनिका घोष, लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने अवध महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन दीप प्रज्वलित करके किया।
सांस्कृतिक संध्या की प्रथम प्रस्तुति में नोएडा की शिखा खरे ने “अंदाज-ए-अवध” की प्रभावी प्रस्तुति दी तत्पश्चात् श्री राम भजन “अगणित जीवों को तार रही हे राम तुम्हारी रामायण” से उन्होंने अपनी कथक प्रस्तुति का सुंदर आगाज किया। राग यमन और मिश्र पहाड़ी कहरवा ताल पर आधारित इस भजन के बाद शिखा ने सुदर्शन फ़ाकिर द्वारा लिखी हुई और बेगम अख़्तर द्वारा राग भैरवी में गायी गई ठुमरी “हमरी अटरिया पे” पर प्रभावी भावों का प्रदर्शन किया तथा अन्त में अवध के नवाब वाज़िद अली शाह की लोकप्रिय रचना “बाबुल मोरा, नैहर छूटो जाए” प्रस्तुति की जो राग भैरवी में निबद्ध थी।
द्वितीय प्रस्तुति मीरजापुर की पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव ने कजरी गायन से की। उन्होंने देवी गीत “जय दुर्गे जगदम्बे भवानी” के बाद प्रभु राम का सोहर “घर घर बजत बधैया, अयोध्या में राम जन्मे” सुनाकर समा राममय कर दिया। झूला गीत “झूला धीरे से झुलाओ बनवारी”, “पिया मेंहदी मंगा द”, “आज बिरज में होरी रे रसिया” और “फागुन मस्त महीना ओ बालम” सुनाकर उपस्थित जनसमूह को भारतीय लोक की समृद्ध संस्कृति से जोड़ दिया।
तीसरी प्रस्तुति मुम्बई के रामशंकर ने शाम को सुरीली करवट देते हुए सूफी गायन सुनाकर प्रशंसा हासिल की। मशहूर सूफी कव्वाल शंकर शंभू के पुत्र राम शंकर ने सबसे पहले “मंदिर तुम्हारा राम जी तुम्हीं बना रहे हो” भजन सुनाया। इस क्रम में उन्होंने “यारों सब दुआ करो, मिलके फरियाद करो” और “ओ यारा वे” सुनाकर शाम का रंग चोखा किया। इसके साथ ही उन्होंने “इश्क की ज़ंजीरों में, गिरफ़्तार हो ना जाये, प्यार हो न जाए” सुनाया।
संध्या की अंतिम प्रस्तुति मुम्बई से आई कलाकार स्नेहा शंकर की बॉलीवुड नाइट रही जिसमें उन्होंने “ऐ दिल है मुश्किल”, “सजदा”, “माही वे”, “मिले हो तुम हमको”, “मेरे रश्के कमर” और “दमादम” जैसे कई लोकप्रिय तराने सुनाकर माहौल को खुशनुमा बनाया।
अन्य गतिविधियांः पतंगबाजी, अवधी परिधान प्रतियोगिता, शतरंज प्रतियोगिता, मथुरा के कलाकारों द्वारा मयूर लोक नृत्य, तथा “पंच परमेश्वर“ की पुतुल प्रस्तुति आयोजित की गई।
अवध महोत्सव के अन्तर्गत दिनांक 05 अप्रैल, 2024 को उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग तथा संस्कृति विभाग और संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ द्वारा रामोत्सव के अन्तर्गत आयोजित कला, संस्कृति और विरासत के इस महासंगम के अन्तिम दिवस के अवध महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया गया।अवध महोत्सव की पांचवी एवं अन्तिम संध्या में मुख्य अतिथि यूपी इको टूरिज्म के निदेशक प्रखर मिश्रा, विशिष्ट अतिथि भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह उपस्थित रहीं। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने अवध महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन दीप प्रज्वलित करके किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव, तथा संयुक्त सचिव सुश्री उमा द्विवेदी, सहायक निदेशक श्री तुहिन द्विवेदी, सुश्री रीनू रंगभारती, समाज कल्याण विभाग एवं निदेशक जनजाति विकास डॉ. हरिओम, उप निदेशक संस्कृति अमित कुमार अग्निहोत्री, ललित कला अकादमी के क्षेत्रीय सचिव डॉ. देवेन्द्र त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव होमगार्ड अनिल कुमार, श्री कल्याण सिंह सहित कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम इतिहासकार श्री रविभट्ट का अभिनन्दन किया गया तत्पश्चात् द्वारा सभी प्रतियोगिताओं ( रंगोली प्रतियोगिता, पतंगबाजी, इक्का तांगा दौड़, शतरंज प्रतियोगिता, परिधान प्रतियोगिता, अवधी व्यंजन प्रतियोगिता) में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कारित एवं सम्मानित किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के आरम्भ में उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों ने मधुर वाद्य-वृंद पेश की। तबला वादक डॉ. पवन कुमार के निर्देशन में वाद्ययंत्रों का अद्भुत समागम देखने को मिला। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने राग किरवानी के अन्तर्गत तीन ताल में अलाप जोड़ झाला, टुकड़े, परन तिहाई की प्रस्तुति दी।
तत्पश्चात् लखनऊ के शिवम मिश्रा का गायन भी सराहा गया। उन्होंने “तेरी दीवानी”, “ना जाने कोई”, “छू लेने दो नाजुक होठों को”, “ए दिल है मुश्किल”, “सइयो नी”, “बुल्लेया”, “पागल पागल”, “सांसों की माला”, “रमता जोगी”, जैसे कई लोकप्रिय तराने अपने सधे हुए बैंड के सहयोगी कलाकारों की संगत के साथ सुनाए।
कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति में मशहूर प्लेबैक सिंगर रूप कुमार राठौर व सोनाली राठौर के गजल गायन से शाम परवान चढ़ी। उन्होंने एक से बढ़कर एक कर्णप्रिय रचनाएं सुनायीं। इसमें राठौर दंपति ने “तेरे लिए” और “तुझमें रब दिखता है” लोकप्रिय गीत सुनाया। रूप कुमार राठौर ने “मौला मेरे मौला” और “संदेशे आते हैं” सुनाया तो सोनाली ने “आपकी नज़रों ने समझा” को मधुर स्वरों में गाकर सबका दिल जीत लिया।
कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तृति मथुरा वृंदावन की लोक कलाकार वंदनाश्री की लोक प्रस्तुति ब्रज के रंग ने सतरंगी ब्रज लोक संस्कृति और अध्यात्म के संगम को बखूबी पेश किया जिसमें उन्होंने “तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे”, बरसाना के “मोर कुटी पर मोर बन आये भगवान” पर सुंदर मयूर नृत्य पेश किया और “रंग बांको सांवरिया डार गयो रे” एवं “रामरंग बरसे गो” की सुन्दर प्रस्तुति दी।
अकादमी परिसर की अन्य गतिविधियों में शतरंज प्रतियोगिता, अवधी परिधान प्रतियोगिता एवं अवधी व्यंजन प्रतियोगिता, अवधी लोक नृत्य तथा प्रदीप नाथ त्रिपाठी द्वारा पुतुल प्रदर्शन के अंतर्गत गुलाबो सिताबो का प्रदर्शन किया गया।