बेगम अख्तर स्मृति समारोह ‘यादें’ 2024-25
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उ.प्र.) द्वारा ग़ज़ल सम्राज्ञी पद्मभूषण बेगम अख्तर की स्मृति में दिनांक 05 नवम्बर, 2024 को ‘यादें’ शीर्षक से गज़ल ठुमरी गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुश्री सुषमा खर्कवाल, महापौर, लखनऊ नगर निगम तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी, क्षेत्रीय सचिव, ललित कला अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, अकादमी अध्यक्ष प्रो. जयन्त खोत, अकादमी उपाध्यक्ष श्रीमती विभा सिंह, अध्यक्ष भारतेंदु नाट्य अकादमी डॉ. रति शंकर त्रिपाठी, अपर निदेशक दिलीप कुमार गुप्ता तथा अकादमी निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। तदुपरान्त विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी को अकादमी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा निदेशक द्वारा अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह एवं पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। तदोपरांत अकादमी उपाध्यक्ष द्वारा सभी का स्वागत कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
अकादमी द्वारा बेगम अख्तर की पुण्यतिथि पर आयोजित किए जाने वाले ‘यादें’ कार्यक्रम की शुरूआत मुंबई की सुश्री गायत्री अशोकन की सुमधुर वाणी से हुई। कार्यक्रम के प्रारम्भ में उन्होंने शकील बदायूंनी की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल ‘‘मेरे हमनफ़स मेरे हमनवाज’’ से कार्यक्रम का आग़ाज़ किया इसके बाद उन्होंने ‘‘सुना है लोग उसे आंख भर के’’, ‘‘जैसी अब है तेरी महफिल’’ के बाद ‘‘हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गई’’ इसके बाद ‘‘कितने ऐश से रहते होंगे’’ अंत में ‘‘इश्क में गैरत-ए-जज्बात ने रोने न दिया’’ सुनाकर बेग़म अख़्तर को स्वरांजलि अर्पित की आपके साथ संगतकर्ता के रूप में सांरगी पर संगीत मिश्रा, हारमोनियम पर श्री दीपक मराठे तथा तबले पर राहुल कथक ने साथ दिया, जिससे उपस्थित श्रोतागण मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सके।
कार्यक्रमोंपरान्त सुश्री गायत्री अशोकन तथा संगत कलाकारों को अकादमी अध्यक्ष, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मुकेश मेश्राम, सलाहकार संस्कृति एवं पर्यटन विभाग जे.पी.सिंह, अकादमी उपाध्यक्ष तथा अकादमी निदेशक और विशिष्ट अतिथि द्वारा पुष्प गुच्छ, अंगवस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति श्री जैज़िम शर्मा की रही। जैज़िम शर्मा ने 5 वर्ष की उम्र से ही गुरू विजय सचदेव से गायन की शिक्षा प्रारम्भ की और गाना शुरू किया। उन्होंने ग़ज़ल गायक श्री ग़ुलाम अली ख़ान से प्रेरित होकर ग़ज़ल गाना आरम्भ किया। बेग़म अख्तर को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंनें सर्वप्रथम बेग़म अख़्तर की सुप्रसिद्ध गज़ल ‘‘ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया’’ पेश की इसके बाद आपने ‘‘याद आया था बिछड़ना तेरा’’ के उपरान्त ‘‘चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है’’, ‘‘हंगामा क्यों है बरपा’’ ग़ज़ल पेश की इसके बाद ‘‘तेरे इश्क की इंतेहा चाहता हूँ’’, ‘‘जो हममे तुममें करार था’’ की खू़बसूरत प्रस्तुति के बाद ‘‘ख़्वाजा मेरे ख़्वाजा’’ के साथ आपने गायन का समापन किया। आपके साथ कीबोर्ड पर श्री जतिन बासवा, वायलिन पर श्री पिन्टू राव तथा तबले पर श्री राहुल कथक ने संगति दी। कार्यक्रम के कलाकारों को अकादमी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि डॉ. देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी, गिरीश चंद्र मिश्रा एवं भारत दीक्षित द्वारा अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में सलाहकार संस्कृति एवं पर्यटन जे.पी.सिंह, संस्कृति विभाग, ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष, भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष, निदेशक, अकादमी सम्मान से सम्मानित कलाकार भूतपूर्व अध्यक्ष, भारत दीक्षित, ए.पी. सिंह., अशोक अग्रवाल इत्यादि उपस्थित थे। अंत में अकादमी निदेशक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन द्वारा किया गया। विशिष्ट अतिथियों तथा उपस्थित सभी गणमान्य जनों एवं जन समूह द्वारा कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई।