उल्लास उत्सव 2022-23
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘उल्लास उत्सव’ के अन्तर्गत दिनांक 19.10.2022 को पिछले तीन वर्षों के 18 मंडलों में आयोजित संभागीय संगीत प्रतियोगिताओं के उपरान्त हुई प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता के नवोदित विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। दीप प्रज्जवलन के उपरान्त कानपुर के युवा गायक आयुष द्विवेदी ने ध्रुपद गायन प्रस्तुत किया जिसमे उन्होंने राग मुल्तानी और चारुकेशी में भक्ति रचना सुनाई। इस अवसर पर अकादमी सचिव श्री तरुण राज ने कहा विजेताओं की संगीत प्रस्तुतियों के लिए अकादमी द्वारा नवांकुर समारोह का आयोजन किया जाता है। इसे अधिक दिनों के लिए आयोजित कर ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाओं को प्रस्तुति का अवसर दिया जाएगा तथा श्रीमती मालिनी अवस्थी ने प्रतिभागियों के समक्ष अपने विचार रखते हुए कि जो इस प्रतियोगिता की प्रक्रिया से गुजरा होगा, वही इसके महत्व को भली भांति समझ सकता है। मैं भी इस प्रतियोगिता के बाल वर्ग में भाग लेकर, जीतकर आज अपना स्थान बना सकी हूं। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता आपको सिर्फ जीतना नहीं सिखाती, आपके आसपास लोग कैसा गा रहे हैं, किसकी कैसी तैयारी है, किसकी प्रस्तुति अच्छी है, किसके गुरु ने किस चीज पर अच्छा काम किया है, यह सब भी पता चलता है। ये प्रतियोगिता यह भी सिखाती है कि कम समय में अपनी श्रेष्ठ प्रतिभा का प्रदर्शन कैसे किया जा सकता है। लोकगायिका ने कहा कि श्रीखंडे जी, सीताशरण जी, सुरेन्द्रशंकर अवस्थी, रंगनाथ मिश्र जी जैसे संगीत विद्वानों ने प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता में मुझे सुनकर प्रथम स्थान दिया था। उस समय संगीत के नए बच्चे कैसा गा रहे हैं, इसे सुनने के लिए शहर उमड़ पड़ता था।
मालिनी अवस्थी ने सुझाव दिया कि विजेताओं के लिए कई दिनों का एक उत्सव आयोजित किया जाए और पिछले वर्षों के विजेताओं को भी उनमें प्रस्तुति का अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि इस लंबी यात्रा में मैंने देखा है कि बहुत सारी प्रतिभाएं कहीं खो गईं। कई ऐसी युवा प्रतिभाएं थीं जिन्होंने उस वक्त अपनी प्रतिभा से चौंकाया था लेकिन उन्होंने संगीत बीच में छोड़ दिया। मैं इसलिए आह्वान करती हूं कि कभी मेहनत नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत मेरी आधारभूमि है। मैं कुछ भी गाऊं, शास्त्रीय संगीत कभी नहीं छोड़ती हूं। उन्होंने कहा कि सरकार आपको यहां तक ला सकती है लेकिन इसके आगे का सफर आपको तय करना है, अपने दर्शक, श्रोता खुद बनाने हैं।