कजरी महोत्सव 2024

उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी (संस्कृति विभाग, उ0प्र0), भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय एवं श्री राम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 01 अक्टूबर, 2024 को रिद्धिमा प्रेक्षागृह, बरेली में कजरी महोत्सव-2024 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अकादमी अध्यक्ष प्रो. जयन्त खोत, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी श्री देवमूर्ति, श्रीराम मूर्ति इंस्टीट्यूशन के शिक्षकगण, विद्यार्थी तथा अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। अकादमी निदेशक डॉ0 शोभित कुमार नाहर ने सभी का स्वागत करते हुए कजरी कार्यक्रम से अवगत कराया तदुपरान्त माँ सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्जवलन करके सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत की गई।

सर्वप्रथम वृंदावन से आस्था गोस्वामी ने कजरी में ब्रज की मिठास घोलते हुए ‘‘आयी सावन की बहार, बैठी सोचे बृजबाला नहीं आए घनश्याम’’, ‘‘राधे झूलन पड़ाओं, झूम के आये बदरा’’ तथा ‘‘सावन झड़ी लगे ना धीरे-धीरे’’ सुनाया। तत्पश्चात् प्रयागराज से पधारे पंडित अजय प्रसन्ना ने कजरी को बाँसुरी वादन की धुन के माध्यम से प्रस्तुत किया। तीसरी प्रस्तुति हरिहरपुर के गायक पंडित भोलानाथ मिश्र की थी जिसमें उन्होंने ‘‘आये नहीं सांवरिया’’, ‘‘सेठ जी कहिया देवा हमारो सजनवा ना, आये तीज का त्योहार’’ तथा तीसरी प्रस्तुति ‘‘आयी सावन महीनवा, झिर-झिर बहेला पवन पुरवइया’’ प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तुति मेरठ की कथक नृत्यांगना प्रो0 भावना ग्रोवर की रही जिसमें उन्होनें कजरी में कथक के भावों को प्रस्तुत किया।
सभागार में उपस्थित दर्शकों ने तालियों के माध्यम से कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा एवं अकादमी अध्यक्ष/निदेशक को धन्यवाद देने के साथ इसी प्रकार के आयोजन भविष्य में भी आयोजित कराए जाने की अपेक्षा की।

उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ (संस्कृति विभाग,उ.प्र.), भातखण्डे संस्कृति  विश्वविद्यालय लखनऊ तथा  सुबह-ए-बनारस एवं जिला प्रशासन, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 05 अक्टूबर, 2024 को वाराणसी में कजरी महोत्सव-2024 का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का शुभारंभ  मुख्य  अतिथि श्री सौरभ श्रीवास्तव, विधायक वाराणसी कैण्ट, डॉ0 रत्नेश वर्मा, अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ0 राजेश्वर आचार्य तथा प्रो0 राजेश शाह सहित अन्य गणमान्य जनों की  गरिमामयी  उपस्थिति में किया गया।

कार्यक्रम का प्रारम्भसभी अतिथिगणों एवं अकादमी निदेशक डॉ0 शोभित कुमार नाहर द्वारा  संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया  गया।

कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति मिर्जापुर से पधारी पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव के गायन गंगा  बधाइयां गीत ‘‘बधाइयां बाजे गंगा दुवारे’’, ‘‘डिम डिम डमरू बजाएला हमार जोगिया’’, के उपरांत लोकप्रिय कजरी ‘‘कईल गुलजार कचौड़ी गली सुन कईल बलमु’’ और ‘‘पिया मेंहदी लियाई द मोतीझाल से सुनाकर समापन किया। आपके साथ ढोलक पर श्री पप्पूलाल, शहनाई पर श्री बांकेलाल ने एवं श्री पंचम राम ने नाल पर संगत की तथा सुश्री शैला ने गायन में साथ दिया।

कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में पं0 चेतन जोशी  द्वारा  प्रस्तुत  बाँसुरी वादन का आरम्भ राग मेघ मे द्रुत एकताल मे निबद्ध रचना से किया गया। इसके उपरांत लोकप्रिय, कजरी को बांसुरी पर जीवंत किया बोल थे ‘‘मिर्जापुर कईल गुलजार गली कचौड़ी सुन कईल बलमू’’ एवं समापन किया ‘‘सावन झर  लागी’’ से। आपके  साथ  तबले पर डॉ0 अमित  ईश्वर तथा साइड  इफेक्ट सहप्रभाव वाद्य  संगति  रही श्री धीरज कुमार की।

तीसरी प्रस्तुति पं रामप्रकाश मिश्रा के गायन की रही जिसका आरम्भ राग मेघ मल्हार में विलंबित तीन ताल में निबद्ध रचना ‘‘घनन घनन घन घोर घोर’’ उसके उपरांत द्रुत एकताल में निबद्ध  बन्दिश ‘‘कजरा कारे कारे’’ और ठुमरी ‘‘मोरे सईया बुलावे’’ तथा अन्त में कजरी ‘‘सावरिया नहीं आए  छाई घटा घनघोर’’ के गायन से की। आपके साथ तबला संगति रही आपके सुपुत्र श्री सुधाकर  कश्यप की तथा संवादिनी पर साथ दिया पं0 पंकज शर्मा ने गायन के साथ सारंगी पर साथ दिया श्री आशीष मिश्रा ने।

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति प्रयागराज की श्रीमती उर्मिला शर्मा द्वारा दुर्गा वंदना, श्री  कृष्ण की स्तुति तथा कजरी ‘‘रोको ना डगर मोरी श्याम तथा कथक नृत्य की मोहक प्रस्तुति से कृष्ण का रास भी अभिव्यक्त  किया।

सभागार में उपस्थित दर्शकों ने तालियों के माध्यम से कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा एवं अकादमी अध्यक्ष/निदेशक को धन्यवाद देने के साथ इसी प्रकार के आयोजन भविष्य में भी आयोजित कराए जाने की अपेक्षा की।

उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी (संस्कृति विभाग, उ0प्र0), भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ तथा गोरखपुर विकास प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 06 अक्टूबर, 2024 को योगी बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह, गोरखपुर में कजरी महोत्सव-2024 के समापन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मंगलेश कुमार श्रीवास्तव, महापौर गोरखपुर, विशिष्ट अतिथियों के रूप में भारतेंदु नाट्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष श्री रवि शंकर खरे, ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष श्री गिरीश चंद्र मिश्रा, बिरजू महाराज कथक संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ0 मिथिलेश तिवारी, ललित कला केंद्र के क्षेत्रीय सचिव डॉ0 देवेंद्र त्रिपाठी, पूर्व महापौर गोरखपुर श्रीमती अंजू चौधरी और डॉ0 सत्या पांडे, संस्कार भारती गोरखपुर  के डॉ0 आशीष श्रीवास्तव, संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सदस्य श्री राकेश चंद्र श्रीवास्तव, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत डॉ0 शरदमणि त्रिपाठी, श्री राकेश उपाध्याय, श्री मानवेंद्र त्रिपाठी तथा संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डॉ0 शोभित कुमार नाहर आदि उपस्थित रहे
कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति सुश्री पूनम श्रीवास्तव, लखनऊ द्वारा देवी स्तुति ‘‘तेरोचाकर करे पुकार’’, पारंपरिक कजरी ‘‘झमक खुली आई बदरिया करी झूला झूले नंद किशोर तीसरी झूला धीरे से झुलाओ बनवारी’’ दादरा ‘‘रिम झीम बरसे करी बदरिया अब के सावन बीत न क्या’’ मिरजापुरी कजरी एवं बनारस की कजरी प्रस्तुत की।
दूसरी प्रस्तुति के अंतर्गत बांसुरी एवं शहनाई वादक श्री राकेश कुमार एवं श्री जवाहर लाल, वाराणसी ने दादरा एवं कहरवा में बनारसी कजरी और इसी कड़ी में झूला की बांसुरी एवं शहनाई वादन के माध्यम से प्रस्तुति दी। तीसरी प्रस्तुति के अंतर्गत उस्ताद गुलशन भारती ने अवध की पुरातन गायन शैली लखनऊ घराने की कजरी के माध्यम से ‘‘झूला’’ की प्रस्तुति दी जिसमें बहुत दुर्लभ बंदिशें हैं जिसे राग और ताल के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। आपके साथ सारंगी पर जीशान अब्बास, तबले पर प्रमोद कुमार मिश्र, स्वर मंडल और गायन पर सुहैल अहमद खान ने साथ दिया।
चौथी प्रस्तुति के अन्तर्गत डॉ0 सुरभि शुक्ला ने कथक नृत्य के माध्यम से नृत्य संरचना नृत्य तरंगिनी सावन व कजरी गीतों पर आधारित ‘‘गोरी करत श्रृंगार, बैठी सोचे ब्रजबाम, हवा की धुन तथा प्रसिद्ध कजरी रिम झीम बरसे पनिया’’ की प्रस्तुति दी। सम्पूर्ण संरचना का निर्देशन डॉ0 सुरभि शुक्ला अन्य कलाकार समृद्धि, सताक्षी, रश्मि तथा कुंजल आदि थे गायन कमला कांत, तबला डॉ0 राजीव शुक्ला, रूपसज्जा शहीर, बांसुरी पर दीपेंद्र कुंवर, संगीत निर्देशन कमला कांत का था। सम्पूर्ण नृत्य प्रस्तुतियां अत्यंत ही मोहक रहीं।  कार्यक्रम समाप्ति के उपरान्त मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों एवं उपस्थित सभी  गणमान्य जनों  द्वारा कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की गई।