ध्रुवपद समारोह
अकादमी द्वारा संचालित कार्यक्रमों में ध्रुवपद समारोह भी शामिल है। यह कार्यक्रम मृदंगाचार्य स्वामी भगवानदास की स्मृति में प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में अकादमी द्वारा ध्रुवपद समारोह का आयोजन गोरखपुर में किया गया। 04 मई 2019 को दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर विश्व विद्यालय के संवाद सभागार में सरसरंग संगीत संकुल के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में वसीफुद्दीन डागर तथा मधुभट्ट तैलंग ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया।
17 अगस्त, 2023
उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी, (संस्कृति विभाग,उ.प्र.) एवं व्यंजना आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ध्रुपद समारोह का शुभारंभ दिनांक 17 से 19 अगस्त 2023 को इलाहाबाद संग्रहालय के पं. बृजमोहन व्यास सभागार में किया गया।
प्रारम्भ में ध्रुपद सम्राट पद्मश्री पं.ऋत्विक सान्याल ने ध्रुपद गायन परंपरा पर परिचयात्मक व्याख्यान देते हुए कहा कि ध्रुपद मात्र एक गायकी नहीं वरन् एक यात्रा व ईश्वर से साक्षात्कार का माध्यम है। इसके बाद श्री आशुतोष भट्टाचार्य एवं डॉ मधुछन्दा दत्ता, वाराणसी ने भी ध्रुपद की सुंदर प्रस्तुति से समां बांधा। इसके पश्चात पं.सान्याल ने सुपुत्र ऋभु सान्याल के साथ ध्रुपद विधा के विविध रागों की प्रस्तुति दी एवं राग भीमपलासी के साथ अंत राग हंसकिकण, हर-हर महादेव शिव शंकर शम्भू सुनाया।
18 अगस्त, 2023
इसी क्रम में दिनांक 18 अगस्त को सांस्कृतिक कार्यक्रम के आरम्भ डागर परंपरा के युवा डॉ0 विशाल जैन ने राग तोड़ी से किया, प्रारम्भ में पं० विनोद द्विवेदी ने अपने सुपुत्र श्री आयुष द्विवेदी के साथ विविध रागों की प्रस्तुति दी, विशेष रूप से अंत स्वरचित रागमाला एवं तालमाला से किया, जिसमें 9 मात्रा में लयबद्ध राग यमन से प्रारंभ कर बारह रागों के साथ 28 मात्रा तक राग देश से समापन किया। इसके उपरान्त ‘परंपरा एवं नवाचार’ उद्देश्य को पूर्ण करते हुए ध्रुपद केंद्र, कानपुर से पधारे पं० द्विवेदी के 12 शिष्यों द्वारा राग गावती मे संगीतबद्ध ‘चलो बृजधाम’ से प्रारंभ कर, समापन राग मालकौस में संगीतबद्ध ‘शंकर, हर-हर’ से किया।
19 अगस्त, 2023
ध्रुपद समारोह के तीसरे दिवस में प्रथम प्रस्तुति डॉ0 अयना बोस ने राग रामकली से की, द्वितीय प्रस्तुति डॉ नमिता यादव ने राग शुद्ध सारंग से की, तृतीय प्रस्तुति में श्री आकाश कुमार का राग भीमपलासी प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् प्रो. प्रेम कुमार मल्लिक एवं उनके सुपुत्र पं0 प्रशांत-निशांत मल्लिक ने राग मेघ, राग मुल्तानी में संगीतबद्ध ‘धन-धन तेरो रूप’ व ‘उमड़-घुमड़ कर गिरि कारी बदरिया’ से आमंत्रित जनसमूह द्वारा सराहा गया।